Sitaare Zameen Par Movie Review – Bolly4u Review

सितारे ज़मीन पर 20 जून 2025 को रिलीज़ हुई और भाई, क्या फिल्म है! आमिर खान की ये मूवी तारे ज़मीन पर (2007) का एक तरह का सीक्वल है, लेकिन कहानी बिल्कुल नई है। डायरेक्टर आर.एस. प्रसन्ना ने 2018 की स्पैनिश फिल्म कैंपियोनेस को देसी तड़का लगाकर बनाया है।

Sitaare Zameen Par Movie Review - Bolly4u Review

आमिर खान, जेनेलिया डिसूजा, और न्यूरोडायवर्जेंट (जैसे डाउन सिंड्रोम, ऑटिज़्म वाले) एक्टर्स की धमाकेदार टोली ने कमाल कर दिया। ये 800 शब्दों का रिव्यू है, जिसमें मैं बताऊंगा कि फिल्म की कहानी, एक्टिंग, मज़ेदार पल, और कमियां क्या हैं। तो चल, थिएटर का मज़ा लेने चलें!

कहानी: बास्केटबॉल कोर्ट से दिल तक का सफर
फिल्म की कहानी है गुलशन अरोड़ा (आमिर खान) की, जो दिल्ली का बड़ा घमंडी बास्केटबॉल कोच है। भाई, ऐसा घमंड कि अपने सीनियर कोच को ही मुक्का मार देता है और ऊपर से नशे में गाड़ी चलाते पकड़ा जाता है। अब उसे दो ऑप्शन मिलते हैं – जेल या कम्युनिटी सर्विस।

गुलशन को चुनना पड़ता है एक ऐसी बास्केटबॉल टीम को ट्रेन करना, जिसमें न्यूरोडायवर्जेंट लोग हैं – मतलब जिनके पास डाउन सिंड्रोम, ऑटिज़्म जैसी कंडीशन्स हैं। वो शुरू में इन खिलाड़ियों को हल्के में लेता है, भद्दे शब्द बोलता है, लेकिन धीरे-धीरे इनके साथ वक्त बिताने पर उसका दिल पिघलने लगता है।

टीम में हैं 10 नए एक्टर्स – अरौश दत्ता, सिमरन मंगेशकर, नमन मिश्रा, वगैरह। ये लोग गुलशन को ज़िंदगी का असली मतलब सिखाते हैं – कि खुशी, हिम्मत, और “नॉर्मल” होने का कोई एक ढांचा नहीं होता। गुलशन की अपनी पर्सनल लाइफ भी उलझी है – उसकी वाइफ सुनीता (जेनेलिया डिसूजा) से बनती नहीं, और बचपन के कुछ ज़ख्म भी उसे परेशान करते हैं। कहानी में बास्केटबॉल टूर्नामेंट तो है, लेकिन असली मज़ा है गुलशन का बदलाव और इन खिलाड़ियों की मासूमियत।

एक्टिंग: सबने दिल जीत लिया
आमिर खान, यार, क्या बात है! गुलशन के रोल में वो कभी गुस्सैल, कभी मज़ाकिया, तो कभी इमोशनल लगे। उनका वो स्टाइल, जब वो अपनी गलतियां मानते हैं, दिल को छू जाता है। वो न्यूरोडायवर्जेंट एक्टर्स के साथ ऐसा घुले-मिले कि लगे ही नहीं कि वो “मिस्टर परफेक्शनिस्ट” हैं।

अब बात उन 10 न्यूरोडायवर्जेंट एक्टर्स की। अरौश दत्ता का सतबीर जब गुलशन को चुप कराता है, तो हंसी रुकती नहीं। सिमरन मंगेशकर की गोदु तो सीन चुरा लेती है, बिल्कुल स्मार्ट और सैसी। बाकी लोग – गोपी कृष्णन, वेदांत शर्मा, नमन मिश्रा, ऋषि शहानी – सबने ऐसा नेचुरल एक्टिंग की कि लगे वो असल ज़िंदगी में भी ऐसे ही हैं। इनकी वजह से फिल्म में जान आ गई।

जेनेलिया डिसूजा सुनीता के रोल में प्यारी लगीं, लेकिन उनका किरदार थोड़ा कमज़ोर लिखा गया। फिर भी, वो और आमिर की जोड़ी इमोशनल सीन में जंची। बृजेंद्र काला और डॉली अहलूवालिया ने हंसी के फव्वारे छोड़े। काला साहब तो हर सीन में मज़ा ला देते हैं।

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